आजकल शाकाहार का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, और कुछ ऐसे भी लोग हैं जोकि शाकाहारी थे मगर अब मांसाहारी होते जा रहे हैं। और आश्चर्य की बात ये है कि यह दोनो ही परिवर्तन जागरुकता के कारण हो रहे हैं। लेकिन हमें अपनी जागरुकता थोड़ी और बढ़ानी चाहिए, क्योंकि असली समस्या कुछ और ही है। वो समस्या गम्भीर-विचार करने योग्य, लेकिन इसी से जुड़ी हुई है। शाकाहार या मांसाहार गंभीर विचार का विषय नहीं है। क्योंकि हमारा धर्म हमें इसके लिए बाध्य नहीं करता। गंभीर विचार का असली विषय है गौ-मांस। और यह बात सिर्फ शास्त्रों की भी नहीं, यह बात है हमारी मान्यताओं की, संस्कारों की। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि हम हिन्दू (सनातन) गौ-मांस (गोमास) नहीं खा सकते।
मेरा मुख्य उद्देश्य लोगो को शाकाहार के प्रति प्रोत्साहित करना नहीं, बल्की हिन्दू-मुस्लिम भाइओं को गाय-सूअर के मांस से बचने के लिए जागरूक करना है। क्योंकि राष्ट्र की रक्षा के बाद हमारा प्रथम कर्तव्य अपने धर्म की रक्षा करना है। जितना मांस-मच्छी खाना है खाओ, हमारे आपके धर्म पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हां, हिन्दुओं को ऐसे जीवों का मांस नहीं खाना चाहिए जिनकी पाँच अँगुलियां होती हैं। जैसे बन्दर-कुत्ता आदि और मुसलमानो को सिर्फ हलाल का मांस ही खाना चाहिए ये तो सब भली-भांति जानते ही हैं।
लेकिन हिन्दुओं के लिए तो ये बेहतर होगा कि स्वयं को जितना हो सके, उतना अधिक शाकाहारी बनाने की कोशिश करें। अगर किसी हिन्दू परिवार की संस्कृति/परम्परा में ही मांसाहार शामिल हो तो मैं नहीं कहता कि आप किसी के कहने पर मांसाहार छोड़ दें। आप स्वयं या परिवार की सहमति से निर्णय लें; क्या सही और क्या गलत है। क्योंकि कुछ हिन्दू परिवारो में मांसाहार उनके धर्म से जुड़ा हुआ है। क्योंकि हिन्दू धर्म में पशु बली की प्रथा अभी समाप्त नहीं हुई है। लेकिन जो लोग शाकाहारी परिवार से हैं या शाकाहार करते हैं उन्हें मांसाहार आरम्भ नहीं करना चाहिए।
एक और बात – श्रेणी
हमारी पश्चिमी दुनिया के अनुसार मुख्य रूप से चार प्रकार के शाकाहारी होते हैं।
1. Lacto-ovo vegetarianism वह लोग जो अण्डे और दूग्ध-उत्पाद खाते हैं लेकिन मीट, मच्छी नहीं खाते।
2. Lacto vegetarianism वह लोग जो दूग्ध-उत्पाद खाते हैं हम हिन्दू जिन्हें शाकाहारी मानते हैं। यह लोग मीट, मच्छी, अण्डे नहीं खाते।
3. Ovo vegetarianism वह लोग जो अण्डे तो खाते हैं मगर मीट, मच्छी और दूग्ध-उत्पाद नहीं खाते।
4. Veganism लोग जो शुद्ध शाकाहारी होते हैं। यह लोग दूध तो क्या शहद भी नहीं खाते।
इस के अनुसार हम हिन्दू जो शाकाहार में विश्वास रखते हैं लेक्टो-वेज़ेटेरियनिज़्म (Lacto vegetarianism) के अन्तरगत आते हैं। क्योंकि हम शहद, दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करते हैं। जैसे- दही, पनीर, मक्खन, घी, मट्ठा, क्रीम आदि।
हम हिन्दुओं को शुद्ध शाकाहारी क्यों नहीं माना जाता? क्या दूध पीने में वास्तव में कोई दोष है? इस प्रश्न के बहुत से कारण हैं और उत्तर आप लोग जानते ही हैं, मगर एक कारण जो आप लोगों में से बहुत कम लोग जानते हैं वो मैं बताता हूँ। क्योंकि मैं वर्षों से पश्चिमी विदेशों में भ्रमण तथा निवास कर रहा हूँ। जैसे हिन्दू धर्म में नवरात्र, श्राद्धपक्ष, मलमास वगैरह कुछ ऐसे समय हैं जिनमें हम लोग आम दिनों की अपेक्षा अधिक शुद्ध-सात्विक भोजन करते हैं। इसी प्रकार ईसाई धर्म में भी है, वह लोग भी साल में कई बार और विशेष रूप से ईस्टर से पहले कुछ दिन (7 दिन या 40 दिन) ये लोग भी शाकाहारी रहते हैं। इन दिनों ये लोग दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन नहीं करते। शाकाहारी बने रहते हैं। इनमें से कुछ लोग यह भी मानते हैं कि गुरुवार को मछली खाने से मांसाहार का दोष नहीं लगता।
एक करण और भी हो सकता है कि यह समस्या धर्म नहीं बल्की भाषा की हो। जैसे कि वेजेटेरियन को हिन्दी में शाकाहार कहते हैं यह तो सही है, लेकिन नॉनवेज को हिन्दी में मांसाहार कहते हैं ये गलत है। नॉनवेज का अर्थ मांसाहार नहीं बल्की अशाकाहार है, इस हिसाब से ठीक ही है, दूध नॉनवेज है। अँग्रेजी के हिसाब से तो हर वह वस्तु जो वनस्पति/शाक नहीं है नॉनवेज है। जैसे कि नमक और पानी जो पश्चिमी लोग शाकाहार के दिनो में खाते-पीते हैं। नमक और पानी ही क्यों, रेत-मिट्टी और वो माउस जो अभी आपके हाथ में है वो भी नॉनवेज है।……………..इससे आगे यहाँ पढ़ें
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